भोपाल। मध्यप्रदेश में स्क्रब टाइफस वायरस (Scrub Typhus Virus in Madhya Pradesh) का खतरा बढ़ने लगा है। मध्यप्रदेश के चार जिलों में स्क्रब टाइफस वायरस के 32 मामले सामने आ चुके हैं। सबसे ज़्यादा 13 मरीज मंदसौर में सामने आए हैं। वहीं मंदसौर, बैतूल, जबलपुरऔर सतना में स्क्रब टाइफस वायरस संक्रमित मरीज मिले हैं। भोपाल एम्स में जांच के दौरान पुष्टि हुई है। वहीं प्रदेश में लगातार स्क्रब टाइफस वायरस के बढ़ते मामले ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है।
लागातर बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश के सभी ज़िलों को स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। डॉक्टर्स के निर्देश पाँच दिन तक बुखार आया तो जांच करवाना ज़रूरी है। बीमारी बढ़ने पर महत्वपूर्ण अंग फ़ेल होने का ख़तरा भी होता है। शहर के 10 बड़े निजी अस्पतालों में 150 से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी जानकारी है। एक मरीज की फेफड़े और किडनी फेल होने से मौत भी हो चुकी है।

क्या है ‘स्क्रब टाइफस‘?
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार ‘स्क्रब टाइफस’ बीमारी ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी बैक्टीरिया (Orientia Tsutsugamushi) के कारण होती है। इंसानों में यह बीमारी संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। इसे ‘बुश टाइफस’ के नाम से भी जाना जाता है। स्क्रब टाइफस बीमारी चूहे और छछूंदर से फैलती है। इसके होने पर इंसान को बुखार, सिर दर्द शरीर के कई भागों में दाने निकलने लगते हैं। बीमारी से निमोनिया और दिमागी बुखार की भी संभावनाएं अधिक होती हैं।
ये है स्क्रब टायफस के लक्षण
इसके लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है जैसा कि कोविड के मामले में होता है- 19. हालांकि, एक स्क्रब टाइफस रोगी कोविड -19 के कई मामलों के विपरीत गंध और स्वाद बना रहता है। कुछ रोगियों में जोड़ों में दर्द भी होता है, जो चिकनगुनिया का लक्षण है।
इस तरह करें अपना बचाव
स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। लेकिन कुछ निर्धारित नियमों के अनुसार आप संक्रमित चिगर्स के संपर्क में आने से खुद को बचा सकते हैं। कोई स्क्रब टाइफस से संक्रमित हो जाता है, तो व्यक्ति को एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज करना चाहिए। एजेंसी के अनुसार, जिन लोगों का डॉक्सीसाइक्लिन के साथ जल्दी इलाज किया जाता है, वे आमतौर पर एक सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। बच्चे को ऐसे कपड़े पहनाएं जो हाथ और पैर को ढ़कें। बच्चे के पालने आदि पर मच्छरदानी का प्रयोग करें। बच्चे के हाथ, आंख, मुंह या शरीर पर इंसेक्ट रेपेलंट न लगाएं। पहले अपने हाथों पर इंसेक्ट रेपेलंट का छिड़काव करें और फिर बच्चे के चेहरे पर लगाएं।
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