
ईओडब्ल्यू इन दिनों समूचे प्रदेश के उन मामलों को लेकर अभियान चला रहा है. जिनमें या तो जांच चल रही है या खात्मा लगाया जाना है. ऐसे मामलों में जांच करने के बाद या तो एफआईआर दर्ज की जा रही है या फिर उन्हें एफआईआर योग्य नहीं माना जा रहा है. सिर्फ सितंबर में ईओडब्ल्यू ने तकरीबन 55 से ज्यादा ऐसे मामलों निपटारा किया है. जिनकी शिकायत लंबे अरसे से पेंडिंग पड़ी थी. ऐसे मामलों में से ईओडब्ल्यू ने 1 दर्जन से अधिक मामलों में एफ आई आर दर्ज की है.

भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस पर विभाग का फोकस
इस अभियान से ईओडब्लू के कामकाज में ना सिर्फ तेजी आई, बल्कि विभाग में चल रही भ्रष्टाचार के मामलों में पेंडेंसी में कमी आई. विभाग के इस अभियान को लेकर ईओडब्ल्यू के डीजी अजय शर्मा ने साफ किया है कि विभाग अब भ्रष्टाचार के मामले को निपटाने सख्त रुख अपना रहा है. भ्रष्टाचार के जीरो टॉलरेंस पर विभाग का फोकस है. यही कारण है कि तमाम मामलों को लेकर जांच में तेजी है और हर मामलों का बिंदुवार तथ्यात्मक रूप से परीक्षण करने के बाद एफआईआर दर्ज की जा रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े ?
बीते सालों में इस साल सबसे ज्यादा ईओडब्लू ने मामले दर्ज किये हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह विभाग के बड़े अभियान को बताया जा रहा है. आंकड़े बताते हैं कि सितंबर तक 93 एफआईआर दर्ज हुई, जबकि पिछले साल यानी वर्ष 2021 में कुल 90 एफआईआर दर्ज हुई थी. इससे पहले साल 2020 में 50 एफआईआर दर्ज की गई. साल 2019 में 44 एफआईआर दर्ज हुई थी. वही साल 2018 में महज 33 मामले दर्ज किए गए थे.
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